कलमकारी भारत की प्रमुख लोककलाओं में से एक है। क़लमकारी एक हस्तकला का प्रकार है जिस में हाथ से सूती कपड़े पर रंगीन ब्लॉक से छाप बनाई जाती है। क़लमकारी शब्द का प्रयोग कला एवं निर्मि

मछिलिपट्नम क़लमकारी में मुख्य रूप से पादप रंगों का उपयोग लकड़ी के ब्लॉक के माध्यम से किया जाता है।इस शैली से बनाई गई हस्तशिल्प वस्तुओं को मुघल काल में दीवार पर सजावट के तौर पर लगाया जाता था।

 क़लमकारी शब्द का प्रयोग कला एवं निर्मित कपड़े दोनो के लिए किया जाता है। मुख्य रूप से यह कला भारत एवं ईरान में प्रचलित है।

कलमकारी भारत की प्रमुख लोककलाओं में से एक है। क़लमकारी एक हस्तकला का प्रकार है जिस में हाथ से सूती कपड़े पर रंगीन ब्लॉक से छाप बनाई जाती है।

भारत में क़लमकारी के दो रूप प्रधान रूप से विकसित हुए हैं। वे हैं मछिलिपट्नम क़लमकारी और श्रीकलाहस्ति क़लमकारी।

सर्वप्रथम वस्त्र को रात भर गाय के गोबर के घोल में डुबोकर रखा जाता है। अगले दिन इसे धूप में सुखाकर दूध, माँड के घोल में डुबोया जाता है।

बाद में अच्छी तरह से सुखाकर इसे नरम करने के लिए लकड़ी के दस्ते से कूटा जाता है। इस पर चित्रकारी करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पौधों, पत्तियों, पेड़ों की छाल, तनों आदि का उपयोग किया जाता है।