मधुबनी चित्रकला एक लोककला है। यह चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, विशेष रूप से मधुबनी की प्रमुख चित्रकला है। यह चित्रकला नेपाल के भी क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध है।

मधुबनी चित्रकला अपने प्राकृतिक चटक रंगो से प्रसिद्ध है। इनमें प्रयोग किए जाने वाले रंग चावल के आटे , हल्दी, चंदन, पराग, वर्णक, गाय का गोबर, मिट्टी व अन्य प्रकृति से स्रोतों से प्राप्त होता है।

मधुबनी चित्रकला की विधि? मधुबनी चित्रकला शैली में चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है। इस चित्रकला को सभी प्राकृतिक वस्तुओं से बनाया जाता है जैसे हल्दी, केले के पत्ते, दूध, इत्यादि।

प्रकृति नजारे जैसे सूर्या वा चंद्रमा, धार्मिक पेड़ पौधे, विवाह के दृश्य देखने को मिलते हैं। इन चित्रकलाओं को बैठक या दरवाजे पर बनाया जाता है।

चित्रकला को उकेरने के दौरान चीज़ो की शुद्धता व पवित्रता का ध्यान बारीकी से रखा जाता है।वर्तमान में जिस कागज पर निर्माण किया जाता है वह कागज भी हस्त निर्मित होता है।

फ़िर इसमें बबूल का गोंद डाला जाता है। सूती कपड़े से गोबर के घोल को कागज पर लगा दिया जाता है पश्चात धूप में सुखाने के लिए रख दिया जाता है।

इस दौर में यह परम्परा दीवारों पर प्लास्टर के कारण विलुप्त होती दिख रही है पर कई कलाकार इस आधुनिकीकरण में भी दीवारो पर भी अपने कलाचित्रों का प्रदर्शन दिखा रहे हैं।