मधुबनी चित्रकला प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है
माना जाता है ये चित्र राजा जनक ने राम-सीता के विवाह के दौरान महिला कलाकारों से बनवाए थे। मिथिला क्षेत्र के कई गांवों की महिलाएँ इस कला में दक्ष हैं।
मिथिला के राजा जनक ने, सर्वोत्कृष्ट नारी, सद्गुणों की मिसाल और महाकाव्य रामायण की नायिका, अपनी बेटी सीता के ब्याह की तैयारी करते समय,महिलाओं से अपने घरों को, सुंदर चित्रों से रंगने को कहा था।
इस चित्र में खासतौर पर कुल देवता का भी चित्रण होता है। हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीर, प्राकृतिक नजारे जैसे- सूर्य व चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे- तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे।
मधुबनी चित्रकला में चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जाता है। जैसे गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला।मूल मधुबनी कलाकार पारंपरिक चित्रकला सामग्री और उपकरणों से जुड़े रहते हैं।
मधुबनी चित्रकला अपने आप में इतना कुछ समेटे हुए हैं कि यह आज भी कला के कद्रदानों की चुनिन्दा पसंद में से है।