इन चित्रकलाओं में श्रीनाथ जी के जीवन चरित्र के साथ साथ उनसे सम्बंधित सामग्रियों का भी उपयोग उन चित्रकलाओं में दर्शाया जाता है। जैसे मोर पंख का उपयोग हर चित्रकारी में देखा जा सकता ह व कमल के फूल का

यह चित्रकला अपने प्राकृतिक चटक रंगों व  खूबसूरती के  लिए जाने जाते है। यह चित्रकला भगवन श्रीकृष्ण को नायक के रूप में बनाया जाता है।

पिछवाई चित्रकला मुख्य रूप से कलाकार कपड़ों पर भगवान्  श्री कृष्ण जी के जीवन कला की चित्रकारी करते हैं। पिछवाई शब्द का अर्थ है पीछे वाली एवं टांगी हुई पिछवाई चित्र आकर में बहुत बड़े होते हैं।

यह चित्रकारी कपड़ो पर की जाती है। यह चित्रकला राजस्थान  के उदयपुर से करीब ५० किलोमीटर दूर राजसमन्द जिले में स्थित छोटा सा धार्मिक नगर " नाथद्वारा "पुष्टिमार्गीय दुर्लभ सम्प्रदार्य की पीठ है।

श्रीनाथ जी मंदिर व नाथद्वारा के श्रीनाथ जी  से सम्बंधित उस पर्याप्त  क्षेत्र में श्रीनाथ जी की प्रतिमा के पीछे दीवार पर लगाने के लिए विशाल पिछवाई चित्रों का ही निर्माण किया जाता है।

यह चित्र भगवान श्रीनाथ  जी के आश्रय व भव्यता बनाने के साथ साथ श्रीनाथ जी जीवन चरित्रों को भी दर्शाते है।जैसे मोर पंख का उपयोग हर चित्रकारी में देखा जा सकता है।

इन चित्रकलाओं में श्रीनाथ जी के जीवन चरित्र के साथ साथ उनसे सम्बंधित सामग्रियों का भी उपयोग उन चित्रकलाओं में दर्शाया जाता है।